बिलासपुर(निप्र)। अच्छे पर्यावरण के सूचक शैवाक तेजी से कम हो रहे हैं। कवक और शैवाल के संयोग से बनने वाले शैवाक की आठ प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। यहां तक की अचानकमार व अमरकंटक जैसे क्षेत्र में भी काफी कमी आई है। यह खुलासा गुरु घासीदास केंद्रीय विश्ववि''ालय के वानिकी विभाग की रिसर्च में हुआ है।
केंद्रीय विश्ववि''ालय में वानिकी विभाग के वि
↧